कलम हाथ मे लिए,अपनी हसरतो को लिख रहे है हम--जो खताए तुम ने की,जो सजाए
हम को मिली---कागज के इन पननो पे उतारते जा रहे है हम--तूफाॅ आते रहे-तूफाॅ जाते
रहे---खुद को तेरे मुकममल बनाते ही रहे हम---मुहबबत मे फना होना कोई खेल नही
शायद,तेरे साथ चलने के लिए खुद से ही दूर हो रहे है हम----
हम को मिली---कागज के इन पननो पे उतारते जा रहे है हम--तूफाॅ आते रहे-तूफाॅ जाते
रहे---खुद को तेरे मुकममल बनाते ही रहे हम---मुहबबत मे फना होना कोई खेल नही
शायद,तेरे साथ चलने के लिए खुद से ही दूर हो रहे है हम----