कहानी किसमत की हम लिख नही पाए-वकत देता रहा जहा दसतक,हम वही चलते रहे
--दिखी इक उजली सी रौशनी हम को--मुकददर माना उसे,और साथ चल दिए---इबादत
मे सर झुकाया हम ने-रूहानी ताकत मे सिमटे--खुशी खुशी जिनदगी के साथ चल दिए--
--दिखी इक उजली सी रौशनी हम को--मुकददर माना उसे,और साथ चल दिए---इबादत
मे सर झुकाया हम ने-रूहानी ताकत मे सिमटे--खुशी खुशी जिनदगी के साथ चल दिए--