Tuesday 1 September 2015

कहानी किसमत की हम लिख नही पाए-वकत देता रहा जहा दसतक,हम वही चलते रहे

--दिखी इक उजली सी रौशनी हम को--मुकददर माना उसे,और साथ चल दिए---इबादत

मे सर झुकाया हम ने-रूहानी ताकत मे सिमटे--खुशी खुशी जिनदगी के साथ चल दिए--

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...