खुमारी मे घुल गया चाहत का वो बिखरा सा नशा--पलके झुक गई,बदल गई रिशतो की
अदा--खनकती रही रात भर चूडिया,इबादत मे ढल गई मुहबबत की फिजा---रूठने-
मनाने की इस खूबसूरत जननत मे,बिखर गई चारो तरफ कहकहो की निशा
अदा--खनकती रही रात भर चूडिया,इबादत मे ढल गई मुहबबत की फिजा---रूठने-
मनाने की इस खूबसूरत जननत मे,बिखर गई चारो तरफ कहकहो की निशा