यही इक दासताॅ थी हमारी-जो हर बार कहते कहते रूक गए थे हम----फिर चली इशक
की ऐसी हवा,कि समभलते समभलते यू ही फिसल गए हम---ऱाज की वो बाते जो बता
गए तुम को,वही वो शाम थी रॅगी कि फैसला अपना सुना गए तुम को---यकीॅ करना-
नही करना,यह मरजी है आप की--पर कशिश अपने पयार की बता गए तुम को----
की ऐसी हवा,कि समभलते समभलते यू ही फिसल गए हम---ऱाज की वो बाते जो बता
गए तुम को,वही वो शाम थी रॅगी कि फैसला अपना सुना गए तुम को---यकीॅ करना-
नही करना,यह मरजी है आप की--पर कशिश अपने पयार की बता गए तुम को----