Monday 21 September 2015

तेरी नजऱ पे रहती है कयू मेरी नजऱ-कही यह मुहबबत तो नही---तेरी राह मे,हर मोड पे

सजदा करते है हम--कही यह मेरी इबादत तो नही---बनद आॅखो मे भी रहते है सपने

तेरे-कही तुझे पा लेने की शिददत तो नही---खयालो मे देते हो दसतक हर लमहा--कया

हर जनम तेरे साथ रहने की दुआ तो नही-----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...