Sunday, 27 September 2015

आखिर मनिजल तू ही है मेरी,इस बात से इनकार नही है मुझे----तेरी हर बेवफाई से रहे

है रूबरू हम,इकरार का वादा फिर भी है तुझ से मुझे--बदनाम हुए है पयार मे तेरे,मलाल

फिर भी नही है इस बात से मुझे---दिल का हर कोना सजाया है तेरी यादो से मैने,तू लौट

आए गा पास मेरे-यह ऐतबार आज भी है मुझे---

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...