Tuesday 9 September 2014

रात का हर पहर खामोश नही होता..कभी दरद तो कभी आॅसू का फरमान लाता हैै...

कभी चूडियो की झनकार इस खामोशी को तोड जाती है...तो कभी हॅसी की आवाज

पहर को खूबसूरत बना जाती है...जिनदगी हर पहर की पहचान है....कभी आॅसू तो

कभी हॅसी...यही जिनदगी की दासतान है........

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...