कभी कभी मन यह सोच कर,बेहद उदास हो जाता है....दौलत और रूतबा गर हमारे पास
होता तो इन दुनियाॅ वालो की सोच हमारे लिए कुछ और होती....हमारी गलतीयो को
हमारा रूआब माना जाता....हमारी नाऱाजगी पे भी हमे पैगाम दिए जाते....हमारी
खिदमत की जाती....हम भी अपनी जिनदगी,अपनी शऱतो पे जीते.....पर आज बेहद
शुुकरगुजाऱ हैै अपने भगवान् के,कि अगर दौलत होती,रूतबा होता तो सब के असली
चेहरे कहाॅ देख पाते....
होता तो इन दुनियाॅ वालो की सोच हमारे लिए कुछ और होती....हमारी गलतीयो को
हमारा रूआब माना जाता....हमारी नाऱाजगी पे भी हमे पैगाम दिए जाते....हमारी
खिदमत की जाती....हम भी अपनी जिनदगी,अपनी शऱतो पे जीते.....पर आज बेहद
शुुकरगुजाऱ हैै अपने भगवान् के,कि अगर दौलत होती,रूतबा होता तो सब के असली
चेहरे कहाॅ देख पाते....