Saturday 27 September 2014

जिनदगी ने हर मोड पे,हर मोड पे....इतना सताया है,इतना रूलाया है....कया कहे इस

जमाने को...इस जमाने ने ही हमे हर मोड का गुनाहगार बताया हैै....आज सब को

निकाल चुके है अपने जेहन से,अपनी यादो से....ना पयार का वो जनून है,ना किसी की

बातो पे यकीॅॅ....बस कागज के पननो पे लिखते जा रहे है दासताॅ अपनी.....जिस जिस

ने कहाॅॅ कितनी ठेस दी...इनही पननो को गवाह बना रहे है जाते जाते......

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...