जिनदगी ने हर मोड पे,हर मोड पे....इतना सताया है,इतना रूलाया है....कया कहे इस
जमाने को...इस जमाने ने ही हमे हर मोड का गुनाहगार बताया हैै....आज सब को
निकाल चुके है अपने जेहन से,अपनी यादो से....ना पयार का वो जनून है,ना किसी की
बातो पे यकीॅॅ....बस कागज के पननो पे लिखते जा रहे है दासताॅ अपनी.....जिस जिस
ने कहाॅॅ कितनी ठेस दी...इनही पननो को गवाह बना रहे है जाते जाते......
जमाने को...इस जमाने ने ही हमे हर मोड का गुनाहगार बताया हैै....आज सब को
निकाल चुके है अपने जेहन से,अपनी यादो से....ना पयार का वो जनून है,ना किसी की
बातो पे यकीॅॅ....बस कागज के पननो पे लिखते जा रहे है दासताॅ अपनी.....जिस जिस
ने कहाॅॅ कितनी ठेस दी...इनही पननो को गवाह बना रहे है जाते जाते......