यह कौन सी अग्नि-परीक्षा है,जिस मे तेरे दर्द से कही जयदा,इस दर्द से हम घायल है..क्या करे तेरे लिए,
यह सोच सोच कर इस दिल से जैसे खून के आंसू क़तरा-क़तरा गिरते है..खाने का कौर उठाते है जैसे,
यू लगता है कोई कही दूर दर्द मे लिपटा है जैसे...उस दर्द की छाया बेशक ना दिखे मगर रूह का यह
आंचल उस दर्द के एहसास भर से बेहद भीगा-भीगा है...आज दुआ का हर शब्द,एक एक कर के उस
की आराधना मे उतरा है..तेरे दर्द से तुझे बहुत जल्द निज़ाद मिले,मुहब्बत की पाकीज़गी की आज फिर
एक बार घोर परीक्षा है...