Friday 9 April 2021

 अचानक से यह बदरा घिर आए है ,शायद हम को यह बताने के लिए...जी ले अपनी ज़िंदगी को खुल के,


क्या पता फिर यह साँसे रहे ना रहे..नैनों से कर गुजारिश,खुद को अश्कों से ना भरे..खुशियां चल कर 


खुद आने को निकली है तेरे द्वारे,मन मयूर को खुल के मुस्कुराने दे..हज़ारों फूल खिलने को है तेरी राहों 


मे,गम का दरिया बस खत्म होने को है...अब साँसे कितनी है तेरी तक़दीर मे,इस का हिसाब तो उसी के 


खाते मे है..बस जी ले जी भर के,मन मयूर को खुल के मुस्कुराने दे...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...