अचानक से यह बदरा घिर आए है ,शायद हम को यह बताने के लिए...जी ले अपनी ज़िंदगी को खुल के,
क्या पता फिर यह साँसे रहे ना रहे..नैनों से कर गुजारिश,खुद को अश्कों से ना भरे..खुशियां चल कर
खुद आने को निकली है तेरे द्वारे,मन मयूर को खुल के मुस्कुराने दे..हज़ारों फूल खिलने को है तेरी राहों
मे,गम का दरिया बस खत्म होने को है...अब साँसे कितनी है तेरी तक़दीर मे,इस का हिसाब तो उसी के
खाते मे है..बस जी ले जी भर के,मन मयूर को खुल के मुस्कुराने दे...