इस से पहले तेरे आने की कोई आहट हो,हम ने दिल-रूह के तमाम दरवाजे तेरे लिए खोल दिए...सिर्फ
तेरी इक झलक पाने के लिए हम ने, अपनी आँखों को रात भर जागने के आदेश भी दे दिए..तेरी वही
इक ख़्वाइश कि हम सम्पूर्ण सादगी मे रचे-बसे,तेरे और सिर्फ तेरे लिए..यह फुरसत के पल तेरे लिए हम
ने फुरसत से रख दिए...चाँद को हम ने ना आने की तागीद फिर से कर दी..कोई ख़लल ना डाले बीच
हमारे,सारे जहां को यह बात तक बता दी..बस दिन तो वो आने को ही है,दिल-रूह की आवाज़ बस तुझ
तक पहुंच जाने को ही है...