सज़े क्या तेरे लिए दुल्हन के लिबास मे या पूरी तरह गुलाब की पंखुड़ियों मे घुल-मिल जाए...कह दे जो
अब तक है दिल मे मेरे या तुझ से लिपट कर जी भर के रो दे...कितनी ही बातें है इस दिल के आंगन मे,
तुझ से मिल कर कही रोते-रोते तेरे संग ही फ़ना ना हो जाए...तेरे मुँह से सुनने के लिए बेक़रार है तेरी
यह दुल्हन..फिर से कह दे ना ''तेरे जैसी दुल्हन सिर्फ सदियों मे ही पैदा होती है ''...अब इंतज़ार है तेरा,
सज़े तेरे लिए खूबसूरत लिबास मे या तेरी बाहों मे फिर से फ़ना हो जाए...