पायल तो फिर बजे गी उसी खास सी खनक को लिए...यह गजरा फिर से महके गा उसी पुरानी सी
खुशबू को साथ लिए...तू फिर से मुस्कुराए गा उसी चिपरिचित हंसी के साथ,सिर्फ और सिर्फ मेरे लिए...
गुस्से को छोड़ कर फिर से मान कहना मेरा,जिए गा ज़िंदगी को अपनों के लिए...और मैं बहुत दूर खड़ी
देखूँ गी तुझे ज़िंदगी को फिर से जीते हुए..मुहब्बत की जीत तो होगी ही,क्यों कि तेरी दुल्हन आज भी
रुकी है मुहब्बत के सब से ऊँचे पायदान पे तेरे-मेरे मिलन के लिए..अगले कितने जन्मो के लिए..बस
यही तो प्रेम का वो रंग है जिस मे यह राधा इंतज़ार तेरा करे गी तमाम जन्मो के लिए.........