बहुत नज़ाकत से वो बोले.. ''आप की खूबसूरती पे पढ़े गे कसीदे रात भर ''...क्या बात है,हंस दिए यह
सोच कर..क्या कोई पत्थर का बुत भी,खूबसूरती पे हमारी कसीदे पढ़ सकता है...क्या कोई बंद लबों को
हमारे लिए खोल सकता है...नाउम्मीद नहीं हुए हम..सुहानी रात मे वो जिस लय मे गुनगुनाने लगे..हम
को वो किसी फ़रिश्ते से कही कम ना लगे...इस को तक़दीर का करिश्मा कहे या उन की लय की मीठी
खुशबू,उन के कसीदे सुनते-सुनते हम गहरी नींद की आगोश मे खो से गए...