Friday 9 April 2021

 बहुत नज़ाकत से वो बोले..  ''आप की खूबसूरती पे पढ़े गे कसीदे रात भर ''...क्या बात है,हंस दिए यह 


सोच कर..क्या कोई पत्थर का बुत भी,खूबसूरती पे हमारी कसीदे पढ़ सकता है...क्या कोई  बंद लबों को 


हमारे लिए खोल सकता है...नाउम्मीद नहीं हुए हम..सुहानी रात मे वो जिस लय मे गुनगुनाने लगे..हम 


को वो किसी फ़रिश्ते से कही कम ना लगे...इस को तक़दीर का करिश्मा कहे या उन की लय की मीठी 


खुशबू,उन के कसीदे सुनते-सुनते हम गहरी नींद की आगोश मे खो से गए...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...