पूछ रहे है इस ज़माने से..कभी उस भगवान् से कोई खौफ इतना ना आया तुझे तो फिर आज नन्हे से
इस कण से क्यों खौफ मे है..इतना डरा हुआ हुआ अपनी ज़िंदगी से क्यों है..जब चल रहा था गलत तो
भी खौफ उस का समझा होता तो आज वो यू सब को बर्बाद ना करता...कभी देखा नहीं उस भगवान् को
तो आज उस के इस कहर को भी कहां देख पा रहा है..सिर्फ महसूस कर के ही डरता जा रहा है..आज
भी कौन कहां सुधर रहा है...ज़िंदा जीवो को खाया..किसी गरीब पे कितना तरस खाया ? अब हिसाब तो
सभी को देना होगा..जो सच है वो तो सब जानता है..फिर खौफ मे यू रहने से क्या होगा...