Sunday, 29 November 2015

तेरे बगैर यह जिनदगी अब जी नही जाती---हजाऱ कोशिशे के बावजूद,तेरी यादे भुुलाई

नही जाती---यह आॅसू जो बहते है झरनो की तरह,मुसकुराना भी चाहू तो इन लबो की

ताकत साथ नही देती--यह कैसी बेबसी है मेरी, कि जान से मेरी यह रूह निकल ही नही

पाती----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...