Wednesday 18 November 2015

बिना नकाब पहने,वो बदलते रहे चेहरे पे चेहरा--हर चेेहरा देता रहा-पैगाम अपना अपना

-खयाल अपना अपना---शमाॅ बुझी तो दीवाना हुआ रौशन--कहा गया वो सुऱख जोडे मे

सिमटा दिलदार मेरा---बहकते कदमो से जो उठाया दुपटटा उस का--हर शखस सामने

आया,बुझे कदमो से सलामी देता हुआ------

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...