तेरी मुहबबत मे तो कोई बॅदिश ना थी,पर हम ही बॅध नही पाए---तूने तो दी खुली साॅसे
मुझ को,पर हम ही वो साॅसे ले नही पाए-याद करते है आज भी तेरी तमाम मेहरबानिया
,वो मुहबबत-वो दीवानगी--यह साॅसे तो आज भी कायम है,पर भूले तो कैसे भूले कि इन
साॅसो मे महक रही है आज भी-तेरे साथ गुजारी वो बेपरवाह तनहाईया-----
मुझ को,पर हम ही वो साॅसे ले नही पाए-याद करते है आज भी तेरी तमाम मेहरबानिया
,वो मुहबबत-वो दीवानगी--यह साॅसे तो आज भी कायम है,पर भूले तो कैसे भूले कि इन
साॅसो मे महक रही है आज भी-तेरे साथ गुजारी वो बेपरवाह तनहाईया-----