Tuesday, 24 November 2015

मेरी हॅसी मे छिपा है,मेरी जिनदगी का अनदाजे-बयाॅ---खुदा की रहमतो का सिला,

मुहबबत की फिजाओ मे छिपा---यू ही नही देती है मेरी आॅखे खुशियो के पैगाम--कि

जहा जहा रख दू यह पाॅव,वही बस जाए मननतो का सॅसार-हवाए दे रही है दसतक मुझे

छू कर कि भर लो खुशिया---आई हू जहाॅ मे नूरे-खुदा बन कर---

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...