गहरे ऱाज की वो बाते,अब तो बता दो मेरे हमदम---जखम दिल पे लिए कयू बैठे हो,अब
करीब मेरे आ जाओ हमदम---वकत तो रूकता नही किसी के लिए,फिर आज भी कयू
तनहा हो उस जानम के लिए----मै हू ना तेरी उममीद-ए-वफा,अब तो भुला दे दऱद-ए-
सजा--सपने तेरे सजाने के लिए,बन के आई हू तेरी शहजादी-निकाह----
करीब मेरे आ जाओ हमदम---वकत तो रूकता नही किसी के लिए,फिर आज भी कयू
तनहा हो उस जानम के लिए----मै हू ना तेरी उममीद-ए-वफा,अब तो भुला दे दऱद-ए-
सजा--सपने तेरे सजाने के लिए,बन के आई हू तेरी शहजादी-निकाह----