Tuesday 1 December 2015

बदलते मौसम की तरह इशक रहा तेरा--बहकते कदमो की तरह यह हुसन रहा मेरा---

बारिश की बूॅदो मेे नहाई मेरी इजहाऱे-वफा---टुकडो टुकडो मे बटी तेरे इशक की बेवफाई

की वजह--मजबूर ना रहे तुम,ना मजबूर थे हम---हालात-ए-मुहबबत मे यू ही जुदा रही

तेरी मेरी किसमत की राहे-सजा----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...