Sunday 27 December 2015

बॅधन तो नही,पर साथ हू तेरे---बात कुछ भी तो नही,पर हर खामोशी  मे गुफतगू होती

है तुझी से----वफा तूने कभी की ही नही,पर बेवफाई मैने तुझ से की नही कभी---दौलत

की दीवारे सदा साथ रही तेरे,पर मेरे पास खुले आसमाॅ से जयादा और कुछ भी नही----

साॅसे दी तुझे हर पल मैने,पर साथ मेरे चलने के लिए तेरे पास मुहबबत ही नही----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...