Friday, 11 December 2015

उन की जुबाॅ से इकरार सुनने के लिए-धडकता रहा दिल---वो कब बनाए गे मुझेे अपना-

इनतजाऱ मे तरसता रहा यह दिल--ना जाने कब तक खफा रहे गे,वो मुझ से--फिर

बेचैन होता रहा यह दिल---आज जब तेरी ही पनाहो मे है-दोनो जहाॅ रौशन भी है----तब

भी कयू----धडक रहा हैै यह दिल---धडक रहा है यह दिल----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...