बहारे कभी मेरे आॅगन मे आए गी इस तरह--सोचा ना था----वो फिर लौट आए गे मेरी
जिनदगी मे--कही खवाब ना था-----कलियो मे,फूलो मे,हर शाख पे,हर डाल पे--जैसे नूर
आ रहा है----आसमाॅ से जैसे परियो का हजूम आ रहा है---कहने की बात नही है कि तेरे
आने के सनदेशे से ही---यह मन मुहबबत के दिए जला रहा है----------
जिनदगी मे--कही खवाब ना था-----कलियो मे,फूलो मे,हर शाख पे,हर डाल पे--जैसे नूर
आ रहा है----आसमाॅ से जैसे परियो का हजूम आ रहा है---कहने की बात नही है कि तेरे
आने के सनदेशे से ही---यह मन मुहबबत के दिए जला रहा है----------