Tuesday 21 April 2015

जिनदगी हर कदम पे एक उलझा सा सवालात कयो है--कभी मिल कर भी इतनी दूर का

खवाब कयो है----कभी इस से बेबसी का एहसास कयो हो जाता है--तो कभी खुशनसीबी

से भी बडा हिसाब नही मिल पाता है--कदम दर कदम यह जिनदगी कयो परेशान करती

है---ना छूटती है ना कभी खतम होने का मुकाम बनाती है---------

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...