Monday 20 April 2015

हवाओ की रूखसती से पहले अकसर तेरे आने की खबर पूछ लेते है----जिस रासते से

तू गुजरे उसी रासते से तेरा पता भी अकसर पूछ लेते है------तू कही भी रहे मेरी खामोश

जुबाॅ की गुफतगू मे रहता है-----यह आसमाॅ जहा पे खतम होता है उसी मोड के आगे से

मेरी मुहबबत का सफऱ पूरा होता है------------

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...