जुुबाॅ खोली तो गुफतगू हमारी ने कयू कहऱ ठा दिया-----पलको को जो झुकाया मुहबबत
का अनदाज समझ नगमा बना दिया-----आॅखो नेे दिए इशारे तो जिनदगी हमारी का
अफसाना बना दिया----बाहे फैलाई जो मिलने के लिए-शोखी का अनदाज बता दिया---
सिमटे जो फिर खामोशी मे-तो जमाने ने कहा---यह खामोशी जिनदगी की है या फिर
शऱमिनदगी की----------
का अनदाज समझ नगमा बना दिया-----आॅखो नेे दिए इशारे तो जिनदगी हमारी का
अफसाना बना दिया----बाहे फैलाई जो मिलने के लिए-शोखी का अनदाज बता दिया---
सिमटे जो फिर खामोशी मे-तो जमाने ने कहा---यह खामोशी जिनदगी की है या फिर
शऱमिनदगी की----------