Saturday 11 April 2015

जुुबाॅ खोली तो गुफतगू हमारी ने कयू कहऱ ठा दिया-----पलको को जो झुकाया मुहबबत

का अनदाज समझ नगमा बना दिया-----आॅखो नेे दिए इशारे तो जिनदगी हमारी का

अफसाना बना दिया----बाहे फैलाई जो मिलने के लिए-शोखी का अनदाज बता दिया---

सिमटे जो फिर खामोशी मे-तो जमाने ने कहा---यह खामोशी जिनदगी की है या फिर

शऱमिनदगी की----------

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...