तेरी मेरी मुहबबत को यह जमाना कया जान,कया समझ पाए गा....
इस दौलत की दुनिया मे,कौन हमारे जजबात समझ पाए गा..
जहाॅॅ खरीदे जाते है लोग,अपने गुनाहो को छिपाने के लिए...
फिर हमारी मुहबबत की इबादत का कया है जनून..कहाॅ कोई समझ पाए गा..
इस दौलत की दुनिया मे,कौन हमारे जजबात समझ पाए गा..
जहाॅॅ खरीदे जाते है लोग,अपने गुनाहो को छिपाने के लिए...
फिर हमारी मुहबबत की इबादत का कया है जनून..कहाॅ कोई समझ पाए गा..