Friday 1 August 2014

बनद पलको मे ना जाने कितने सपने देख लिए..

पर खुली आॅखो से भी ना भूल पाए है..

कहते है हर सपना कुछ कहता है..

पर हम अपने हर सपने को उस का मुकममल मुकाम दे जाए गेे..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...