जो दिया जिनदगी ने,उसे मुकददर मान लिया.बहुत खोया पर कुछ पाया...
उसे भी तकदीर का करिशमा जान लिया...पर जब जखम मिले अपनो से...
तो अपने ही सममान के लिए दिल दरद से भर आया..आज साथ चल रहे है वो लोग..
जिन से कोई नाता तो नही,पर साथ देने के लिए रिशता बनाना जरूरी तो नही..
सहारे ना माॅगे थे,ना माॅगे गे कभी,पर दोसतो के साथ अपने मिशन को एक नाम दे
जाए गे.....
उसे भी तकदीर का करिशमा जान लिया...पर जब जखम मिले अपनो से...
तो अपने ही सममान के लिए दिल दरद से भर आया..आज साथ चल रहे है वो लोग..
जिन से कोई नाता तो नही,पर साथ देने के लिए रिशता बनाना जरूरी तो नही..
सहारे ना माॅगे थे,ना माॅगे गे कभी,पर दोसतो के साथ अपने मिशन को एक नाम दे
जाए गे.....