Saturday 2 August 2014

जो दिया जिनदगी ने,उसे मुकददर मान लिया.बहुत खोया पर कुछ पाया...

उसे भी तकदीर का करिशमा जान लिया...पर जब जखम मिले अपनो से...

तो अपने ही सममान के लिए दिल दरद से भर आया..आज साथ चल रहे है वो लोग..

जिन से कोई नाता तो नही,पर साथ देने के लिए रिशता बनाना जरूरी तो नही..

सहारे ना माॅगे थे,ना माॅगे गे कभी,पर दोसतो के साथ अपने मिशन को एक नाम दे

जाए गे.....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...