Tuesday, 12 August 2014

हमारी कोई बात समझने के लिए,जजबातो को समझने के लिए..वकत ही तुमहारे

पास ना था..दिल और दौलत का फऱक समझने के लिए एक लमहा भी तुमहारे पास

ना था.. आज राहे हो गई है जुदा हजारो गलतफहमियो मे...वकत और किसमत कब

बदल जाते है...यह जानने का हिसाब भी तुमहारे पास ना था...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...