Monday 6 November 2017

किस्मत की लकीरो को देखा और कहा...तुझ से कोई शिकवा नहीं मुझ को....तेरे हर फैसले को मन से

कबूल किया मैंने...तेरी दी हर नियामत को रूह से शुक्रिया किया मैंने...आंसू जब जब भी छलके इन

आँखों से,खुद के ही कर्मो का हिसाब माना मैंने....खुशियाँ जब भी दी तूने,इन्ही बूंदो से नमन किया

तुझे मैंने...मेरी हिम्मत की दाद तो दे ना अरे किस्मत मेरी,हर मोड़ पे खुश हू यह सोच कर....लकीरो

का यह खेल बहुत खूबसूरत दिया तूने मुझ को....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...