Thursday, 30 November 2017

आँखों की नमी और दिल की ख़ुशी...सीने का यह दर्द और तेरे मिलने की घड़ी....कुछ मेल नहीं पर मेल

तो है,तुम साथ मेरे नहीं पर फिर भी आने का अहसास तो है.....बिजली की चमक और गुस्ताख़ नज़रो

का यह खौफ,मेल नहीं पर मेल तो है....तेरे चेहरे पे नफरत की झलक पर दिल मे मुहब्बत की खलिश

क्या कहते है इसे,याद आता है मगर कुछ, फिर कुछ याद आता ही नहीं...दिल के टुकड़े कई बार हुए,

यह दिल घायल फिर भी है मगर...कुछ मेल नहीं पर मेल तो है....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...