वो शाम थी एक पयारी सी,जो दिल को छू गई वो मुुहबबत थी या खुमाऱी थी..हम ने
अकसऱ लोगो को मुहबबत मे बरबाद होते देखा है,कभी खुद को तो कभी दूजे को खफा
होते देखा है..मुहबबत इक नाम नही हासिल कर पाने का,यह तो जनून है अपने पयार
के लिए..खुदा से दुआए करने का..वो खुश रहे अपने जहान मे,ऐसा फऱमान खुदा के
सामने पडते देखा है...
अकसऱ लोगो को मुहबबत मे बरबाद होते देखा है,कभी खुद को तो कभी दूजे को खफा
होते देखा है..मुहबबत इक नाम नही हासिल कर पाने का,यह तो जनून है अपने पयार
के लिए..खुदा से दुआए करने का..वो खुश रहे अपने जहान मे,ऐसा फऱमान खुदा के
सामने पडते देखा है...