Monday 24 November 2014

वो शाम थी एक पयारी सी,जो दिल को छू गई वो मुुहबबत थी या खुमाऱी थी..हम ने

अकसऱ लोगो को मुहबबत मे बरबाद होते देखा  है,कभी खुद को तो कभी दूजे को खफा

होते देखा है..मुहबबत इक नाम नही हासिल कर पाने का,यह तो जनून है अपने पयार

के लिए..खुदा से दुआए करने का..वो खुश रहे अपने जहान मे,ऐसा फऱमान खुदा के

सामने पडते देखा है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...