Thursday, 20 November 2014

तुम पयार कर ना सके,हम पयार पा ना सके..वादो की दुनियाॅ बसाते रहे,पर वादा एक

भी निभा ना सके..मिसाल देते रहे मुकममल मुहबबत की,पर मुहबबत कभी कर ना

सके..टूट टूट कर इतना टूटे कि जिनदगी को जीना भूल गए..यादे है इतनी,कि उनहे

साथ रखने के लिए..इन साॅसो को चलाना ही भूल गए..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...