Saturday 22 November 2014

हम ने तुमहे,ना किसी रिशते से बाॅधा ना किसी वादे से..तुम जिओ अपनी मरजी से,बस

आजाद कर दिया सारे नातो से..पयार किसी बधॅन का मोहताज नही,जबरदसती साथ

जीने का नाम भी नही..कयो रहो तनहाॅ तुम,यह जिनदगी यह साॅसे तो कब से तुमहारे

नाम कर चुके..जानते है इतना,गर ताकत होगी हमारी पाक मुहबबत मे..तो हमारी

साॅसे टूटने से पहले तुम हमारे पास लौट आओ गे...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...