Sunday 2 November 2014

तनहाॅॅ होते है जब भी,यह सोचते है अकसर...कितने ही इलजामो से घिरा है जीवन

अपना...ना बना पाए किसी को अपना,ना किसी के जीवन मे उतर पाए बन के अपना...

गुलामी करते या खुद का वजूद ही मिटा देते,तो सुनहरा जीवन जीते..पर उसूलो को ना

तोड पाए ना वजूद अपना मिटा पाए..हाॅ खुद को तनहाई से दूर रखते है..अपने आप मे

जी कर खुशी और सकून के पल जीते है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...