तनहाॅॅ होते है जब भी,यह सोचते है अकसर...कितने ही इलजामो से घिरा है जीवन
अपना...ना बना पाए किसी को अपना,ना किसी के जीवन मे उतर पाए बन के अपना...
गुलामी करते या खुद का वजूद ही मिटा देते,तो सुनहरा जीवन जीते..पर उसूलो को ना
तोड पाए ना वजूद अपना मिटा पाए..हाॅ खुद को तनहाई से दूर रखते है..अपने आप मे
जी कर खुशी और सकून के पल जीते है...
अपना...ना बना पाए किसी को अपना,ना किसी के जीवन मे उतर पाए बन के अपना...
गुलामी करते या खुद का वजूद ही मिटा देते,तो सुनहरा जीवन जीते..पर उसूलो को ना
तोड पाए ना वजूद अपना मिटा पाए..हाॅ खुद को तनहाई से दूर रखते है..अपने आप मे
जी कर खुशी और सकून के पल जीते है...