Saturday 5 January 2019

इनायत हुई जब जब खुदा की हम पे..सज़दा जो किया दो बूंद आंसू छलक आये इन आँखों से... जुबाँ

तो खामोश थी मगर हज़ारो बाते करता रहा यह दिल बेहिसाब से..मेहरबानियाँ कर दी हम पे इतनी

कि जन्मो जन्म के लिए हम आप के शुक्रगुजार हो गए..इस से पहले कि बिखर जाते किसी सूखे पत्ते

की तरह,बहुत प्यार से थाम लिया मेरे मालिक मुझे अपने बच्चे की तरह..क्या कहू कि अब अपनी हर

साँस को हवाले कर दिया आप के कदमो मे हर हाल मे...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...