इनायत हुई जब जब खुदा की हम पे..सज़दा जो किया दो बूंद आंसू छलक आये इन आँखों से... जुबाँ
तो खामोश थी मगर हज़ारो बाते करता रहा यह दिल बेहिसाब से..मेहरबानियाँ कर दी हम पे इतनी
कि जन्मो जन्म के लिए हम आप के शुक्रगुजार हो गए..इस से पहले कि बिखर जाते किसी सूखे पत्ते
की तरह,बहुत प्यार से थाम लिया मेरे मालिक मुझे अपने बच्चे की तरह..क्या कहू कि अब अपनी हर
साँस को हवाले कर दिया आप के कदमो मे हर हाल मे...
तो खामोश थी मगर हज़ारो बाते करता रहा यह दिल बेहिसाब से..मेहरबानियाँ कर दी हम पे इतनी
कि जन्मो जन्म के लिए हम आप के शुक्रगुजार हो गए..इस से पहले कि बिखर जाते किसी सूखे पत्ते
की तरह,बहुत प्यार से थाम लिया मेरे मालिक मुझे अपने बच्चे की तरह..क्या कहू कि अब अपनी हर
साँस को हवाले कर दिया आप के कदमो मे हर हाल मे...