'' मुरादें पूरी हो सभी '' कह कर इतना वो फ़क़ीर दर से मेरे चला गया...हाथ अपना रख कर सर पे मेरे,
कही अचानक से वो गायब हो गया...पत्थर के बुत से बने,ना जाने कब तल्क़ रुके रहे दरवाज़े पे...होश
आया जब पुकारा किसी ने नाम से मेरे ...'' मुरादें ''..क्यों मुस्कुरा दिए इस लफ्ज़ पे...सकून बस अब इस
दिल को मिले,भरी आँखों से यही सोच के मांगी यही मुराद...मन से कहा शुक्रिया और उस फ़क़ीर को कर
नमन अपने कामो मे फिर गुम हो गए..
कही अचानक से वो गायब हो गया...पत्थर के बुत से बने,ना जाने कब तल्क़ रुके रहे दरवाज़े पे...होश
आया जब पुकारा किसी ने नाम से मेरे ...'' मुरादें ''..क्यों मुस्कुरा दिए इस लफ्ज़ पे...सकून बस अब इस
दिल को मिले,भरी आँखों से यही सोच के मांगी यही मुराद...मन से कहा शुक्रिया और उस फ़क़ीर को कर
नमन अपने कामो मे फिर गुम हो गए..