Monday 14 January 2019

'' मुरादें पूरी हो सभी '' कह कर इतना वो फ़क़ीर दर से मेरे चला गया...हाथ अपना रख कर सर पे मेरे,

कही अचानक से वो गायब हो गया...पत्थर के बुत से बने,ना जाने कब तल्क़ रुके रहे दरवाज़े पे...होश

आया जब पुकारा किसी ने नाम से मेरे ...'' मुरादें ''..क्यों मुस्कुरा दिए इस लफ्ज़ पे...सकून बस अब इस

दिल को मिले,भरी आँखों से यही सोच के मांगी यही मुराद...मन से कहा शुक्रिया और उस फ़क़ीर को कर

नमन अपने कामो मे फिर गुम हो गए..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...