क्या लिखे तेरे लिए कि तेरा नाम ही काफी है मेरे जीने के लिए ...गुजर रहे है लम्हे,गुजर रहे है साल
प्यार तेरा पाने के लिए अभी भी,बरसो करे गे तेरा इंतज़ार...शिकवा नहीं कोई,शिकायत का नामो-निशाँ
भी नहीं..तेरे नाम से जुड़ा है जब नाम मेरा,फिर रुत कोई भी हो.. हो बरखा या पतझड़ की कोई शाम..
फासले अक्सर पास रह कर भी कायम रहते है...तू बेशक दूर सही,मगर खयालो मे मेरे है...यही काफी है
मेरे जीने के लिए...
प्यार तेरा पाने के लिए अभी भी,बरसो करे गे तेरा इंतज़ार...शिकवा नहीं कोई,शिकायत का नामो-निशाँ
भी नहीं..तेरे नाम से जुड़ा है जब नाम मेरा,फिर रुत कोई भी हो.. हो बरखा या पतझड़ की कोई शाम..
फासले अक्सर पास रह कर भी कायम रहते है...तू बेशक दूर सही,मगर खयालो मे मेरे है...यही काफी है
मेरे जीने के लिए...