नक्शे-कदम चले या नक्शे-हमराज़ बने..छोटी सी है यह ज़िंदगी,क्या बने और क्या ना बने..मगर तय
है यह,उन रास्तो पे चले जहां मंज़िल पे तू ही तू...ही रहे..अहमियत दौलत की ना हो,गरूर का कही
नामों-निशाँ ना रहे...जो बात मैं ना भी कहू,उसे तू समझने के लिए हमेशा समझदार रहे...मतलब की
दुनिया है सारी,इस से खबरदार मैं भी रहू और तू भी रहे..
है यह,उन रास्तो पे चले जहां मंज़िल पे तू ही तू...ही रहे..अहमियत दौलत की ना हो,गरूर का कही
नामों-निशाँ ना रहे...जो बात मैं ना भी कहू,उसे तू समझने के लिए हमेशा समझदार रहे...मतलब की
दुनिया है सारी,इस से खबरदार मैं भी रहू और तू भी रहे..