Saturday 12 January 2019

नक्शे-कदम चले या नक्शे-हमराज़ बने..छोटी सी है यह ज़िंदगी,क्या बने और क्या ना बने..मगर तय

है यह,उन रास्तो पे चले जहां मंज़िल पे तू ही तू...ही रहे..अहमियत दौलत की ना हो,गरूर का कही

नामों-निशाँ ना रहे...जो बात मैं ना भी कहू,उसे तू समझने के लिए हमेशा समझदार रहे...मतलब की

दुनिया है सारी,इस से खबरदार मैं भी रहू और तू भी रहे..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...