Wednesday, 28 November 2018

बूंदे यह बारिश की..बे रोक टोक दरारों से अंदर आ जाया करती है...क्यों दे जाती है ऐसा गीलापन,जो

बरसो बाद भी सीलन का अहसास देती है...उजाला सूरज का हो या गर्मी मौसम की,निशान अक्सर

फिर भी छोड़ जाया करती है...दरारे भरते भरते फिर अचानक यह बूंदे क्यों बे रोक टोक दुबारा आ

जाया करती है...क्यों डर नहीं इन्हे सूरज की उस गर्मी का,जो आहे-बगाहे इन्ही को मिटा दिया करती

है...

Monday, 26 November 2018

ना जमीं सरकी ना ही आसमाँ खिसका..ना कही शिकवे हुए ना इल्ज़ामो का दौर रहा...ना कहा कुछ

आप ने,ना हम से कुछ बोला गया...रास्ते कब साथ थे,जुदा होने का सवाल कहाँ रह गया...उम्मीदे

टूटी कहाँ, जब उम्मीदों को पास आने का मौका हम ने दिया कहाँ...दुनियाँ बहुत छोटी सी है,आज है

यहाँ,कल ना जाने हम आप होंगे कहाँ .... 

Friday, 23 November 2018

पर्दानशीं कह कर ना पुकारा कीजिये हमे ..इन्ही परदे के झरोखो से ही हम आप को निहारा करते है...

जज्बात कही रूबरू ना हो,इसी डर से खुद को इसी परदे मे छुपाया करते है...दुनिया कोई इलज़ाम ना

हम को दे दे,दुनिया कोई फरमान ना आप को सुना दे...अपनी लाज निभाने के लिए इसी परदे को

हमराज़ बनाया करते है...अब ना कहिए हम को आप पर्दानशीं...परदे को अपना हमदर्द समझ इस को

आदाब बजाया कीजिये...

Thursday, 22 November 2018

ख्वाहिशो का कभी दम ना निकले,इसलिए रोज़ फूलो से मिलने चले आते है..मुस्कुराना कभी भूल ना

जाए,कलियों को गले लगाने शिद्दत से चले आते है..किसी की बातो से हमारा दिल ना दुखे,इन मासूम

कोपलों को सहलाने अक्सर आ जाते है..इन खुली वादियों मे खुद को सलीके से,इस तरह झुका देते है

कि नज़र ज़माने की बुरी कितनी भी क्यों ना हो..इन से अपनी नज़र उतरवाने प्यार से चले आते है..

Tuesday, 20 November 2018

यु तो रोज़ दुआओ मे सब की खुशिया माँगा करते है..दर्द ना मिले बस सकून की वजह ही माँगा करते

है...परवरदिगार दे सब को इतना कि झोली कभी ख़ाली ना हो...रोशन रहे सब का जहाँ,अंधेरो की कोई

जगह ही ना हो..रुके ना कदम कभी,छूटे ना किसी का साथ कभी..दुःख आने से पहले,दुआएँ मेरी तुझे

आगोश मे ले ले यू ही....बस दुआएँ देते देते,अपने दिन की शुरुआत ऐसे ही किया करते है...

Sunday, 18 November 2018

निहायत खूबसूरत है आप के वो लफ्ज़,जो जीने के लिए आप को ही पुकारा करते है--पाक रिश्ते

के लिए आप के वो पाकीज़ा अंदाज़,दिल को नहीं बस रूह हमारी को छू लिया करते है---रहनुमा

ना सही,हमकदम ही सही--अपनी मुस्कान को कायम रखने के लिए,आप को खुदा कह कर बस

बुलाया करते है--कही खोट नहीं आप की गुफ्तगू मे, इसलिए आप को खुदा का मसीहा जान कर

इबादत मे शामिल कर लिया करते है---

Saturday, 17 November 2018

लाज शर्म के बंधनो से दूर,तेरी ही दुनिया मे कदम रखने चले आए है..पाँव की जंजीरो को तोड़,लोग

क्या कहे गे-इस सोच से भी बहुत दूर,तुझ से मिलने चले आए है...रिश्तो की दुनिया बहुत खौफदार

होती है,सवाल पे सवाल करने वाले और खुद को मेरा अपना कहने वाले..अकेले मे इन सब पर बेतहाशा

हंस देते है,क्यों आखिर झूठे प्यार का दावा करते रहते है...सकून तेरी ही बांहो मे पाने के लिए,दर्द से

निजात पाने के लिए..अपने आप को भुलाने के लिए बस तेरे पास चले आए है...

Thursday, 15 November 2018

बहारों ने कभी इंतज़ार नहीं किया,हमारी मौजूदगी का...सुनहरे वक़्त को भी कभी याद नहीं रहा

हमारे होने या ना होने का...घड़ी की टिक टिक अहसास दिलाती रही,सुबह और शाम के आने जाने

का...खुशिया दस्तक देती रही यहाँ वहाँ,बस भूल गई रास्ता हमारे पास आ जाने का..दाद दी अपनी

हिम्मत को खुद ब खुद हम ने..बंद दरवाजो को चीरा ऐसे,वक़्त को याद दिलाया ऐसे कि किस्मत

अपनी पे खुद ही रश्क किया ऐसे...अब बहारों को इंतज़ार बस हमारा है..वक़्त को पलटने का वादा

भी अब हमारा है..

Saturday, 10 November 2018

क्यों आज फिर मन उदास हुआ मेरा...आँखों से बह रहे यह झर झर आंसू किसलिए...कौन सा दर्द

कौन सी तड़प,क्या बेबसी उदास कर रही है मुझे...दिल के तारो के टूटने की आवाज़ आ रही क्यों

मुझे..क्यों लग रहा है ,कोई दूर बुला रहा है मुझे..मेरे इंतजार मे बहुत मजबूर है कोई मेरे लिए...

शायद आज इन आंसुओ का समंदर,खामोशियो मे..किसी के पास जाने के लिए बेक़रार है ...क्यों

क्यों और क्यों...

Friday, 9 November 2018

हसरतो का मेला जो लगा,दिल बेचैन होने लगा...कभी कही उड़ान भरने के लिए,यह मन कुलांचे भरने

क्यों लगा..काश..दौलत के ढेर होते,ऐशो से भरी ज़िंदगानी होती...ना तरसते किसी शै के लिए,रंग-बिरंगी

हमारी दुनिया होती...ढ़ोकर ना देता यह ज़माना,निगाहो मे सब के हमारा बसेरा होता..पर आज दिल का

नरम कोना बोला,जब सकून है तुझे रातो मे..नींद आ जाती है इन आँखों मे...जीने के लिए वो सब कुछ

है,परवरदिगार का साया हर पल है तो नरम कोने की ही सुन..आराम से सो जा और हसररतो को बस

अलविदा ही कर....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...