न छलका आँखों से मदहोशियो के यह ज़ाम,कि दिल बेताबी मे यू ही फिसल जाए गा---तुम हो जाओ गे
मेरे,और बदनामी का रंग मेरे सर पर आ जाए गा---होगा कसूर तेरे इस हुस्न का,पर मेरा इश्क तो
बेमौत मारा जाए गा---लोग दे गे सजा मुझ को,और तू फिर भी अपने ही हुस्न पे इतराये गा---यह इश्क
गुजारिश करता है,तू दूर रह इस आग से..फिर न कहना कि मुहब्बत का दाव तू हारे गा और इश्क यू
ही फ़ना हो जाए गा----
मेरे,और बदनामी का रंग मेरे सर पर आ जाए गा---होगा कसूर तेरे इस हुस्न का,पर मेरा इश्क तो
बेमौत मारा जाए गा---लोग दे गे सजा मुझ को,और तू फिर भी अपने ही हुस्न पे इतराये गा---यह इश्क
गुजारिश करता है,तू दूर रह इस आग से..फिर न कहना कि मुहब्बत का दाव तू हारे गा और इश्क यू
ही फ़ना हो जाए गा----