Tuesday, 21 March 2017

तुझे रुखसत कर दिया हम ने भरी आँखों से आज---पर तमाम यादो को साथ लिए घर लौटे थे आज---

सूना सूना सा जहाँ मेरा,अधूरे से खवाब..कोई नहीं समझ पाया मेरे दिल दिमाग की उथल-पुथल का

गहरा  राज़--तुम रहे शहंसाह मेरे,माथे का सरताज....बदली दुनिया,बदले लोग...बुझ गया उम्मीदों का

संसार---पर मैंने चुपके से अपनी रूह को जोड़ दिया तेरी रूह के साथ,सांसो को निभाने के लिए यही रास्ता

बचा है आज---

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...