तेरी यादो के बवंडर से जो सैलाब निकला है,वो काफी है ताउम्र जीने के लिए---बरस बरस कर जो बरसा
वो तूफान काफी है,पन्नो को भरने के लिए---यू तो हर लम्हा तेरी ही यादो के साथ चलते आए है,पर
जुदाई-खास पे क़यामत की हद तक फफक फफक कर रोये है---लौटना तो तेरा अब मुनासिब ही नहीं
पर तेरी दुनियां मे कब आ जाए,यह बताना तुझे जरुरी है तेरे तसल्लीबख्श होने के लिए---
वो तूफान काफी है,पन्नो को भरने के लिए---यू तो हर लम्हा तेरी ही यादो के साथ चलते आए है,पर
जुदाई-खास पे क़यामत की हद तक फफक फफक कर रोये है---लौटना तो तेरा अब मुनासिब ही नहीं
पर तेरी दुनियां मे कब आ जाए,यह बताना तुझे जरुरी है तेरे तसल्लीबख्श होने के लिए---