Saturday 25 March 2017

बारिश तू  ज़रा थम जा,ए बादल तू बरस के अब खाली हो जा---उन की राहो को आबाद करने के लिए

सूरज को ज़रा उगने दो ---सुबह की मासूम हवाओ को ज़रा महकने दो,खिलने  दो अब उन कलियों को

जो फिज़ाओ को महकाती है--मेरे मेहबूब की राहो मे ज़रा सज़दा कर लू,ना रोको मुझे ना  टोको मुझे

बस हो जाओ सभी खामोश ज़रा,कि उन की सलामती के लिए खुद को इबादत मे ज़रा शामिल कर लू---

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...