Monday 5 October 2015

कही से ढूॅढ के लाओ नसीब मेरा,मुझे खुशियो की हसरत है---कभी नाचू कभी हॅस दू---

वादियो मे झूमने की भी चाहत है---करू यह पलके जब भी बनद,शहनाईया बजती है

कानो मे मेरे--सजदा करते है खुदा तेरे आगे कि इनही कदमो से,पिया से मिलने की

हसरत बाकी है---

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...