Monday, 12 October 2015

जितना निखारा है  तेरी मुहबबत ने मुझे,कायल है तेरी इसी वफा के लिए--जो बात कही

तूने,धीमे से कानो मे मेरे--वो खनक के उतर गई सीधे दिल मे मेरे-----ना जाना जमाने

की रॅजिशो पे कभी,दरदे-दिल दे जाती है नासूर बन के----यू ही रहना मेरा बहाऱे-जशन

बन के,कि आदी हू तेरी इसी अदा के लिए-----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...