Wednesday 14 October 2015

बरस रहा है यह बदरा,मेरी आॅखो की तरह--तू पलट कर देख तो,किसी दुआ की तरह---

मनिजले-शाख कभी कभी मिलती है---यह रौशन सी शमा भी कभी कभी जलती है---

ना बदल इरादो को इस मौसम की तरह---कि इनतजाऱ मे बिछी है यह बाहे,किसी

खूबसूरत मॅजऱ की तरह------

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...